जम्मू कश्मीर में आतंकियों के सरेंडर की नई नीति में उन्हें 6 लाख रुपये के अलावा 10 साल तक ब्याज के रूप में आने वाले 4 हजार रुपये भी देने का प्रस्ताव है।
नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर सरकार ने आतंकियों की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति में बदलाव की सिफारिश की है। प्रस्तावित नई नीति के तहत सरेंडर करने वाले आतंकियों को आर्थिक सहायता में बढ़ोतरी करते हुए 6 लाख रुपये कर दी है, जिसमें 10 साल का लॉक-इन पीरियड रखा गया है। अब केंद्र सरकार को इस नई नीति पर फैसला लेना है। वर्तमान नीति के मुताबिक सरेंडर करने वाले आतंकियों को डेढ़ लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है, जिसमें 3 साल का समय रखा गया है।
जम्मू और कश्मीर के स्थानीय बीजेपी नेताओं ने प्रस्तावित नई नीति का विरोध किया है। उनका कहना है कि इस नीति से आतंकियों को प्रोत्साहन मिलेगा और आतंक के खिलाफ लड़ रहे सेना के जवानों के मनोबल को चोट पहुंचेगी। बता दें कि पिछले दिनों कश्मीर में कुछ स्थानीय युवाओं ने आतंक की राह छोड़कर मुख्यधारा में वापस लौटने का फैसला किया था। इसके बाद ही गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से इस दिशा में कदम उठाने को कहा था। गृह मंत्रालय ने पुनर्वास नीति के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी के गठन की बात कही थी, जिसकी अध्यक्षता एडीजी या डीजी रैंक के अधिकारी को करने का सुझाव दिया गया था।
बताया जा रहा है कि मौजूदा नीति को पुराना माना गया था, खास तौर पर जब अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण उत्तर-पूर्व क्षेत्र में विद्रोहियों के लिए आत्मसमर्पण योजना के तहत 4 लाख रुपये मिलते हैं, जिसे तीन साल का लॉक इन पीरियड है। इसके अलावा सरेंडर करने वाले व्यक्ति को सजा काटने के 3 महीने बाद तक 6 हजार रुपये प्रति महीने का स्टाइपेंड भी दिया जाता है। उत्तर-पूर्व राज्यों असम, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा, और अरुणाचल प्रदेश में इस नई नीति का ऐलान फरवरी में किया गया था, जो 1 अप्रैल से लागू हुई।